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क्या कल होगा यही इंडिया

Jeevan nama
Jeevan nama
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कविता

…………………क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?

जनता लुटती बीच बजरिया, देव  लुटें   देवालय     में ।

खेती लुटती खेत, कियरिया, जहर मिले फलसब्जी में।

मिला कास्टिक, तेल, यूरिया, दूध  बनावें  पानी  में ।

जो भी मिलता सभी जहरिया,गडबड सब कुछ मण्डी में ।

…………………क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ  में ?

पूजा पाठ भये पंडलिया, सब कुकर्म इस पेशे में ।

लम्पट ठोंगी सब प्रवचनिया, जनता इनके चरणों में ।

पहले नेता फिर नौकरिया, साथी  स्याह कमाई  में ।

अब अभियंता भी आ जुडिया, देश डूबता तिकड़ी में ।

………………….क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?

न्यायान्याय  किताबी बतिया, चले जुगाड़ कचहरी में ।

नोट खेलावे चोर-सिपहिया, बाछें  खिली वकालत  में ।

मिलजाये डॉक्टरी डिगिरिया,खाओ कमीशन चेकअप में ।

मर जायें  या जीयें  रोगिया, नोट  तुम्हारे   पाकेट  में ।

…………………..क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?

नाचें, गावें, तोरें  तनिया, भ्रष्ट आचरण जीवन में ।

वसनहीन गौरांग बदनिया , सबसे ऊपर रेटिंग में ।

कोई न बहना, बेटी, न भइया,टी.वी.धारावाहिक में ।

मन्दाकिनी मरी अनुसुइया, देख  बेशर्मी नारी में ।*

……………………क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?

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*सती अनुसुइया माता सीता को समझाती हैं :-

—————जग पतिब्रता चारि विधि अहहीं । वेद पुरान संत सब कहहीं ।

उत्तम के अस बस मन माहीं । सपनेहुँ आन पुरुष जग नाहीं ।

—————मध्यम पर पति देखइ कैसे । भ्राता  पिता  पुत्र  निज   जैसे ।

धर्म विचारि समुझि कुल रहही।सो निकृष्ट तिय श्रुति अस कहही ।

—————बिनु अवसर भय तें रह जोई । जानेहु अधम नारि जग सोई ।

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अंततः

घमंड या अहंकार तुमको झुकने नहीं देता है। झुकोगे नही तो कोई तुम्हे उठाकर गले लगाएगा नहीं। हाँ तुम्हे झुकाने का लगातार प्रयास करता रहेगा।  अतः समाज के गले लगना है तो अपने घमंड रुपी दुश्मन को मारो और झुकना सीखो।

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