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बीजेपी ! सावधान

Jeevan nama
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  • लोकसभा चुनाव की रणभेरी अभी बजी भी नहीं कि धर्मनिरपेक्षता के नामपर भाजपा का एक सहयोगी दल उसके चरित्र और चेहरे पर ग्रहण लगाने पर तुल गया । आम आदमी जदयू के इस शतरंजी चाल से नहीं बल्कि भाजपा के इस मौकेपर अनिर्णय की स्थिति पर अचंभित है । बीजेपी की वैशाखी सहारे खड़ा बिहार का मुख्यमंत्री जब बीजेपी के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता एवं गुजरात के मुख्यमंत्री को नान – सेक्यूलर कहतेहुये उसके विकास माडल को ख़ारिज किया ,तत्काल बीजेपी को इस मारेसि मोहिं कुठाँव का मुंहतोड़ प्रतिकार गठबन्धन तोड़कर करना चाहिए था,परन्तु ऐसा नहीं हुआ । फिर देश के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल को ऐसे लांछन सहने का कोई बडा लाभकारी कारण होना चाहिए जिसे आम आदमी नहीं समझ पा रहा है । जहाँ नरेन्द्र मोदी की लोक प्रियता के आधार पर आगामी चुनाव में बीजेपी केलिए दोसौ का आंकड़ा पार होने की संभावना है,वहां बीस के आसपास खेलने वाला टंगड़ी मार रहा है ।

भारतीययुवा मतदाता की सोच है कि अब चुनाव विकास ,बेहतरी एवं भ्रष्टाचार मुक्ति जैसे मुद्दों पर लड़े और जीते जांय जबकि अधिकांश दल और नेता जाति एवं धर्म के नाम पर समाज को तोड़कर चुनाव लड़ने में दक्ष हैं । ऐसे लोग अपने कुटिल चाल में सफल भी होते रहे हैं ।चाल फिर चल दिया गया है ।इसलिए सावधान बीजेपी । मुद्दे से भटकना आत्मघाती हो सकता है । पूरा देश कांग्रेस के अधिनायकवाद ,भ्रष्टाचार ,कुशासन एवं संवेदनशून्यता से त्रस्त है । सभी चाहते हैं कि बीजेपी जैसा राष्ट्रीय दल देश को चलाने एवं कांग्रेस को राजनीतिक टक्कर देने की स्थिति में बना रहे । यह हमारे लोकतंत्रऔर विकास केलिए आवश्यक है ।इस अपेक्षा पर भी बीजेपी को खरा उतरना है ।
गुजरात में सामने दिखता विकास एवं इसके प्रतीक नरेद्र मोदी आज ऐसे दो कारण हैं जिनसे प्रेरित होभाजपा का खोया जनाधार वापस भाजपा की ओर मुड़ने की सोच रहा है ।देश के हर नुक्कड़-चौराहे पर ,विविध मंचों पर ,समाचारपत्रों एवं सोशल मिडिया में मोदी का देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता
होना स्वीकृत एवंचर्चित विषय है । विभिन्न विचारधाराएँ भी चाहती हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा से नरेन्द्र मोदी एवं कांग्रेस से राहुल गाँधी के भावी प्रधान मंत्री पद की दावेदारी मुद्दे पर हो । अतः सामने कांग्रेस को देखते हुए तत्कालभाजपा को अपनी पार्टी की ओर से नरेन्द्र मोदी को भावी प्रधान मंत्री पद का दावेदार घोषित करना चाहिए और पूरी पार्टी को एक जुट होकर आडवानी जी के दिशा निदेशन में चुनाव में कूद पड़ना चाहिए । यदि दोसौ का आंकड़ा बीजेपी छू लेती है तो सरकार बीजेपी नेतृत्व वाली गठबंधन ही बनाये गी और जदयू इधर -उधर झांकती दिखेगी । इसके बिपरीत लक्ष्य से पिछड़ने पर कोई गठजोड़ काम नहीं बना सके गा । फिर रणभूमि में उतरने से पहले अर्जुन की भांति मोह क्यों ?
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अंततः
जबतक हमारे देश में प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्रियों का चुनाव सीधे मतदाताओं के मतदान से होने की संवैधानिक ब्यवस्था नहीं होगी ,भ्रष्टाचार मिटाने का कोई निर्णायक प्रयास नहीं होगा ,सीबीई जैसी संस्थाएं स्वायत्त नहीं होंगी और बिना आमदनी बढ़े महंगाई बढती रहे गी ;आम आदमी असहाय मतदाता बना रहेगा ।
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