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सर्जिकल स्ट्राइक कि बोरोप्लस

Jeevan nama
Jeevan nama
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***************इतिहास का यही क्रम है कि वर्ष के बाद वर्ष अपने विशिष्ठ पहचान के साथ इसके पृष्ठों में जुड़ते जाते हैं और उसी विशिष्ठिता से वे याद किये जाते हैं। कुछ ऐसे ही,भारत के इतिहास में वर्ष दो हजार सोलह ईयर ऑव सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से जाना जाय गा। इस अस्त्र का पहला प्रत्यक्ष प्रयोग भारतीय सेना के रणबाँकुरों ने, पिछले वर्ष दस मई को,सीमा से सटे म्यांमार में किया जब वे मणिपुर में सक्रिय रहे डेढ़ सौ से अधिक आतंकियों को रात के चंद घण्टों में मौत की नींद देकर सकुशल वापस आ गए। इस सर्जिकल स्ट्राइक की देश में बड़ी वाहवाही भी हुई परंतु वर्तमान वर्ष में तो हमारे देश में सर्जिकल स्ट्राइक ने धूम मचा दिया ।पूरे विश्व का ध्यान उभरते भारत की ओर तब खिंचा जब उन्तीस सितम्बर को वर्तमान दृढ़निश्चयी सरकार क़ी अपेक्षा के अनुरूप उच्च मनोबल वाली पेशेवर भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुस कर आतंकियों एवं पाकिस्तानी सैनिकों पर आशातीत सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया। भारतवासियों ने झूम कर दीपावली सा उत्सव मनाया।पाकिस्तान की हेकड़ी चूर हुई तो भारत के नेतृत्व व सैन्य दक्षता को पूरे विश्व में सराहा गया। विपक्षी दलों को सरकार के लिए जनता द्वारा की गई सराहना रास नहीं आई। काँग्रेसियों ने तो यहाँ तक कह डाला कि उनके शासन काल मेंसेना ने ऐसे बहुत सारे सर्जिकल स्ट्राइक किये थे लेकिन उन्होंने कभी इन्हें सार्वजानिक नहीं किया।पुनः दीपावली बीतते ही आठ अक्टूबर की सांझ को भारत में आर्थिक मोर्चे पर एक दूसरी ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक हुई कि काले धन वाले, नेता,ठेकेदार, अभियंता,अधिवक्ता, चिकित्सक , व्यापारी ,नौकर शाह ,नक्सली ,आतंकी ,रियल इस्टेट,इत्यादि के कारोबारी एक साथ धराशायी हो गए। दूसरे दिन प्रातः देशवासियों ने क्षितिज से नए भारत को उगते देखा।
***************तब से जनता बैंकों व एटीएम मशीनों के सामने पैसे के लिए घण्टों कतार में खड़ी हो रही है।परन्तु इस स्ट्राइक से जनता इतनी प्रसन्न है कि कतार में लगने से कोई थकान ही नहीं। कतार में खड़े -खड़े वे कभी मोदी जी की सराहना करते हैं तो कभी मोदी -मोदी के नारे लगाते हैं। कभी कोई नेता दिखने पर घृणापूरित व्यंग करते हैं तो कभी रियल इस्टेट व लाकर वालों पर भी सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मोदी जी से अपील करते हैं।देश के हर कोने तथा हर वर्ग से यही आवाज उठ रही है कि ये भारत माँगे मोर।जनता कोई भी कठिनाई झेलने को तैयार है परंतु काले धन वालों को अब समूल नष्ट होतेदेखना चाहती है। यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लोग भी मोदी जी के इस साहसिक प्रयोग की सराहना कर रहे हैं ओर अच्छे परिणाम की अपेक्षा कर रहे हैं।
*************** दूसरी ओर आतंरिक मोर्चे पर काले धन का केंद्र बने हुए विभिन्न विरोधी दलों के नेताओं में खलबली मची हुई है। उन्हें नोटबन्दी के विरोध का कोई नैतिक कारण नहीं मिल रहा है तो जनता के कतार में घण्टों खड़ा होने की दुहाई दे रहे हैं या बिना तैयारी के क्रियान्वयन की बात कर रहे हैं।निःसंदेह ये नेता ही हैं जो काले धन का नेतृत्व कर रहे हैं ,संसद की कार्यवाही ठप कर रहे हैं तथा भारतबन्द करने का प्रयास कर रहे हैं।उनकी इस मुद्दे पर दंगा फसाद कराने की हर कोशिश बेकार जा रही है क्योंकि यह जो भारत की पब्लिक है ; सब जानती है।नोटबन्दी तो टूटने वाली नहीं है परन्तु सत्ता पक्ष व बिहार के देशप्रेमी मुख्यमंत्री को छोड़ अन्य सभी नेताओं ने यह अवश्य सिद्ध कर दिया कि वे काले धन के समान पक्षधर हैं।सराहनीय हैं प्रधान मंत्री जी एवं धन्य है सर्जिकल स्ट्राइक कि जनाकांछा को परवान चढ़ने का अवसर मिला।
***************अब तो आम लोगों की समझ में मोदी जी ,सुचिता,राष्ट्रभक्ति और सर्जिकल स्ट्राइक एकरूप हो चुके हैं।मोदी विरोध का सीधा अर्थ है कालाधनी,बेईमान व राष्ट्रद्रोही होना।इस धारणा को पुष्ट करने में अनैतिक एवम लुटेरे विपक्षियों का बहुत बड़ा योगदान है। नए सपनों के भारत का हर नागरिक चाहता है कि मोदी जी अपने उद्देश्य में सफल हों तथा भविष्य में उनके द्वारा की जाने वाली हर सर्जिकल स्ट्राइक सफल हो।साधारण सोच है कि पश्चिमी सीमा ,रियल इस्टेट और बेनामी संपत्ति पर और सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता है। भारत के सुनहरे भविष्य का पदार्पण इन स्ट्राइक की सफलता पर ही निर्भर है और जनता के मूड को मोदी जी से बेहतर समझने वाला कोई दूसरा नेता नहीं है। इतना ही नहीं जब तक भारत में वीआईपी संस्कृति पर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं होती,यह क्रम जारी रहना चाहिए। जिस दिन ऐसा होगा ,इन नेताओं को पता लगे गा एक ईमानदार साधारण नागरिक क्या होता है और उसकी अपेक्षा क्या होती है।
***************फिर हाल सर्जिकल स्ट्राइक्स का स्वागत है और निकट भविष्यमें ऐसी ढेर सारी स्ट्राइक्स के लिए शुभ कामनाएं।इस एक ब्रह्मास्त्र में बहुत कुछ साधने एवं भारत को महाशक्ति बनाने की क्षमता है।यद्यपि काला होने के आधार पर हाथी के साथ काली हांड़ी की तुलना नहीं हो सकती फिर भी यह कहने को दिल करता है कि यह सर्जिकल स्ट्राइक है कि बोरोप्लस।कारण कि बोरोप्लस के विज्ञापन में अमिताभ जी ने बड़े ढंग से बोरोप्लस को सब कामों में प्रभावी होना बताया है।इस प्रसंग में गोस्वामी तुलसी दास की निम्न लिखित पंक्तियाँ भी विचार योग्य हैं –
—————ग्रह भेषज जल पवन पट ,पाइ कुजोग सुजोग।
—————होइँ कुवस्तु सुवस्तु जग ,लखइ बिलच्छन लोग।
अस्तु सुयोग बना रहे ;सब ठीक ही होगा।बस कर्मयोगी की कर्मसाधना अनवरत चलनी चाहिए। ———————————————————————————– मंगलवीणा
वाराणसी,दिनाँक:01 दिसम्बर 2016
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